Wednesday 12 December 2012

अपील - असीम त्रिवेदी के साथ आएं...असीम के अनशन के 5 दिन पूरे



 क्या आप कभी एक रात भूखे सोए हैं...नींद नहीं आती न...कार्टूनिस्ट-एक्टिविस्ट असीम त्रिवेदी और उनके साथी आलोक दीक्षित आपकी लड़ाई लड़ने के लिए पिछले 5 दिन से अनशन पर हैं...अनिश्चितकालीन अनशन पर...जंतर मंतर पर बैठे असीम से मिलने दिन भर लोग पहुंचते रहते हैं...लड़ाई है एक काले क़ानून के ख़ात्मे के लिए। आईटी एक्ट की धारा 66 , जो आपसे आपकी अभिव्यक्ति की आज़ादी ही छीन लेती है, आपके फेसबुक और ट्विटर तक पर भी कुछ लिखने के खिलाफ़ है, उस के खिलाफ़ ये दोनों अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं। क्या आपको नहीं लगता है कि इस काले क़ानून के खिलाफ़ एक लड़ाई छिड़ जानी चाहिए? क्या आपको नहीं लगता कि ऐसे क़ानून सिर्फ और सिर्फ जनता के दमन के लिए हैं? क्या आप मानते हैं कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में इस तरह का कोई भी क़ानून होना चाहिए? क़ानून आम आदमी की आज़ादी बचाए रखने के लिए होते हैं या फिर उसे कुचल कर उसकी आवाज़ को तार तार कर देने के लिए? क्या ऐसे क़ानूनों के रहते हम ख़ुद को एक आज़ाद देश का नागरिक कह सकते हैं? और क्या आपको नहीं लगता कि सरकार को इस क़ानून को खत्म कर देना चाहिए
असीम त्रिवेदी आप सबसे अपील करते हैं कि न केवल आप सब असीम के समर्थन में जंतर मंतर पहुंचें,,,बल्कि फेसबुक समेत तमाम सोशल मीडिया पर इस बारे में और लोगों को जागरुक करें...जो कुछ मुंबई में शाहीन डाडा के साथ हुआ, हम प्रण करें कि वो औरों के साथ नहीं होने देंगे। सरकार के भ्रष्टाचार, तंत्र की नाकामी और मज़हबी नफ़रत के खिलाफ़ लड़ाई जारी रखने के लिए इस क़ानून का खात्मा एक बड़ी जीत होगी। और यक़ीनन अगर असीम और आलोक के अनशन का कोई नतीजा निकलता है तो ये केवल इन दोनों की नहीं, देश की सारी जागरुक जनता की जीत होगी। हमारी अपील है कि आप हमारे साथ आकर हमारा हौसला बढ़ाएं। असीम और आलोक के अनशन को 5 दिन पूरे हो चुके हैं और दोनों की सेहत लगातार गिरती जा रही है, फिर भी दोनों के इरादे अटल हैं कि उनकी बात सुने जाने तक वो अनशन से नहीं उठेंगे। दरअसल आप सब कम से कम दफ्तर के बाद...दोपहर की छुट्टी के वक्त,...कॉलेज से लौटते हुए...टहलने जाते हुए...जब भी मौका मिले असीम के पास आ सकते हैं। पटेल चौक मेट्रो स्टेशन असीम के सबसे नज़दीक है...और राजीव चौक से असीम के अनशन स्थल तक भी पैदल आया जा सकता है। असीम को समर्थन देने तमाम सामाजिक संगठन और कार्यकर्ताओं के अलावा टीम अन्ना की कोर कमेटी के सदस्य अरविंद गौड़ और आम आदमी पार्टी से मनीष सिसौदया भी पहुंचे। 
असीम की लड़ाई दरअसल एक कोशिश है उन हज़ारो कोशिशों में से जो आने वाले वक्त में मुल्क को ज़्यादा आज़ाद और ज़्यादा जागरुक बनाएंगी। एक ऐसा देश जहां स्वतंत्रता, सम्प्रभुता और समाजवाद सिर्फ संविधान की प्रस्तावना में लिखे गए शब्द बन कर न रह जाएं, बल्कि उनका मतलब आम आदमी के रहन सहन, चाल ढाल और जीवन में दिखे। कल के भारत के लिए आप सब साथ आएं। सेव योर व्याइस की ओर से हम मीडिया के तमाम साथियों को आभार व्यक्त करते हैं, जो लगातार हमारे साथ बने हुए हैं, साथ ही उन तमाम ब्लॉगर साथियों का भी जो हमें समर्थन देना जारी रखे हैं। हमारा सबसे बड़ा आभार है उन लोगों को जो इंटरनेट पर हमारी ओर से ये लड़ाई लड़ रहे हैं। देश संक्रांति काल से गुज़र रहा है....बदलाव कोई रोक नहीं पाएगा...हां आप उसके भागीदार बनेंगे तो बदलाव और जल्दी होगा...ज़रूर होगा...


 आशीष तिवारी  
सेव योर वाइस