Monday, 5 March 2012

फिर भी आइना सच ही दिखाएगा: Manu Manasvi

विनाशकाले विपरीत बुद्धि वाली कहावत इन दिनों केन्द्र की मनमोहनी कांग्रेस सरकार पर सटीक बैठती प्रतीत होती है। अन्ना और रामदेव फोबिया से घबराई सरकार जिस तरह अपनी चादर में छेद ढूंढ़कर उसमें पैबंद लगाने की बजाय उस छेद को बेनकाब करने वालों की हर आवाज को दबाने की मुहिम में जुटी है, उससे साफ होता है कि उनकी कमीज में ही दाग है, जिसे वो किसी भी कीमत पर औरों से उजली होने का झूठा दिखावा कर रही है। अब ये और बात है कि हर ईमानदार आवाज को कुचलने के बाद भी कांग्रेस बड़ी ही बेशर्मी से कहती है कि ये लोकतंत्र के हित में है।


मनु मनस्वी इस देश में जम्हूरियत का एक ही मंत्र है,
आईना दिखाने वालों को कुचलकर कह दो, ये लोकतंत्र है।

आखिरकार जैसा अंदेशा था, वही हुआ। कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी को संसद का कार्टून बनाने की कीमत चुकानी पड़ी।  एक स्थानीय वकील की शिकायत पर मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने कानपुर के युवा कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी की वेबसाइट ‘कार्टून अगेंस्ट करप्शन डॉट कॉम’ पर प्रतिबंध लगा दिया है। क्राइम ब्रांच ने बेहद बचकाना तर्क देते हुए कहा है कि असीम ने अपने कार्टून के जरिए देश की भावनाओं को चोट पहुंचाई है। अब ये चोट कैसे पहुंची और इससे किस हद तक देश को हानि हुई, इसका कोई जवाब फिलहाल क्राइम ब्रांच के पास नहीं है।

मुंबई क्राइम ब्रांच का यह कदम न सिर्फ रसूखदारों और लोकतंत्र को अपने मन मुताबिक मोड़ लेने में माहिर राजनेताओं द्वारा सचाई की राह पर चल रहे लोगों को कुचलने का परंपरागत रूप है, बल्कि इसे कपिल सिब्बल की सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर तिरछी हुई नजर के चलते मीडिया और सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर सुनियोजित तरीके से नियंत्रण की शुरुआत के रूप में भी देखा जाना चाहिए। बता दें कि बीते दिनों सिब्बल ने सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर अंकुश लगाने की बात कही थी। कपिल सिब्बल जैसे पढ़े-लिखे मंत्री का यह कहना कि फेसबुक, ट्विटर, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट के प्लेटफार्म पर कुछ ऐसी सामग्री आयी हैं, जो कि लोगों की धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचा सकती हैं, सोशल मीडिया की पूरी गतिविधियों के प्रति उनकी अज्ञानता को ही दर्शाता है।

यह कोई पहली दफा नहीं है कि किसी ने सरकार को आईना दिखाने की कीमत चुकाई हो। रामदेव हों या अन्ना हजारे, जिसने भी सरकार की नीतियों का विरोध किया, उसे कुचलने के लिए सारी सरकार एक हो जाती है। अब इसे केन्द्र सरकार की बेशर्मी नहीं तो और क्या कहा जाए कि बीते एक दशक से भी लंबे समय से संघर्षरत शर्मिला इरोम की जायज मांगों को मानने की बजाय जबरन उसके हलक में खाना ठूंसकर कहती है कि सरकार इरोम की जान की फिक्र है। इससे पहले भी सरकार का दोगलापन तब सामने आया, जब सूचना का अधिकार कानून देकर अपनी पीठ थपथपाने वाली कांग्रेस ने इसे अपने ही लिए घातक प्रतीत होते देख इसमें ‘कुछ’ जरूरी बदलाव करने का फैसला लिया। यह अलग बात है कि चारों ओर से होने वाले विरोध के बाद उसे अपने कदम वापस खींच लेने पड़े।

असीम के कार्टून पहले भी सरकार की हकीकत से जनता को रूबरू कराते रहे हैं। लेकिन जब लगा कि चारों ओर से भ्रष्टाचार के आरोप झेल रही कांग्रेस सरकार की हकीकत यदि आम आदमी के सामने आ गई तो वर्षों से आम आदमी के साथ होने का दंभ भरने वाली कांग्रेस की कलई खुल जाएगी, तो अपना रुआब झाड़ते हुए कार्टून के साथ ही वेबसाइट पर भी प्रतिबंध लगा दिया। भ्रष्टाचार के खिलाफ होने का पाखंड करने वाली कांग्रेस पार्टी ए. राजा, कलमाड़ी और कनिमोझी जैसी तिकड़ियों की ओर तो आंखें मूंदे बैठी है, जिन्होंने अब तक के इतिहास में सबसे बड़े घोटाले कर भ्रष्टाचार के ‘नोबेल’ के लिए अपनी दावेदारी पुख्ता करने की जी तोड़ कोशिश की, लेकिन अपनी ओर उठती हर आवाज को कुचलने के लिए उसे लोकतंत्र के लिए घातक बताकर अपने तमाम ‘टूल बॉक्स’ लेकर पिल पड़ती है। उधर तमाम विरोधाभासों के बावजूद न्यायपालिका पर अपना विश्वास रखने वाले आम जन के विश्वास को बरकरार रखते हुए अदालत ने जिस तरह भ्रष्टाचार के मामले में लिप्त कांग्रेस के इन तीनों धुरंधरों पर एक-एक कर शिकंजा कसा है, उसने सरकार में बौखलाहट पैदा कर दी है और इसी बौखलाहट में वो बेहद हास्यास्पद कदम उठा रही है।

माना कि असीम के व्यंग्य को कुछ स्वनामध्न्य बुद्धिजीवी लोग संविधन का मखौल उड़ाना मानते हों, या इसे अपने द्वारा परिभाषित लोकतंत्र के लिए हानिकारक मानते हों, लेकिन सवाल ये है कि जब जनता द्वारा चुनकर भेजे गए सांसद संसद में खुलेआम नोट लहराते हैं, जूतमपैजार कर हंगामा करते हैं, या फिर सदाबहार रूप से छिछोरी चुटकुलेबाजी या फूहड़ बयानबाजी करते हैं, तब क्या वे संसद का मजाक नहीं उड़ाते? तब क्या वे देश की जनता का अपमान नहीं करते? पर ये ही तो है पॉवर का नशा।  पॉवर है तो हर खून माफ। पॉवर है तो सब कुछ लोकतंत्र की आड़ में सही सिद्ध हो जाता है (http://www.news.bhadas4media.com/index.php/creation/868-2012-03-02-13-29-42)