"अगर आपका भी सोशल मीडिया वेबसाइट्स पर अकाउंट है और आप कोई स्टेटस अपडेट करते हैं या किसी फ्रैंड की पोस्ट को लाईक कर देते हैं. तो आज ही स्थानीय कोर्ट में अग्रिम जामानत (anticipatory bail) के लिए अप्लाई कर दीजिये क्यूंकि ऐसा न करने पर कभी भी आपको रेनू और शाहीन की तरह जेल जाना पड़ सकता है. इस प्रक्रिया में हम भी आपका सहयोग कर सकते हैं. जानकारी हमें saveyourvoice@gmail.com पर मेल करें या इस लिंक पर जाकर अपनी जानकारी भरें"
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बाला साहब ठाकरे के निधन पर एक फेसबुक यूजर Shaheen Dhada ने फेसबुक स्टेटस लिखा और उसकी दोस्त Renu Srinivasan ने उसे शेयर कर दिया. शिवसैनिक भड़क उठे और लड़की को जबरन पुलिस स्टेशन ले आए. साथ ही शाहीन के चाचा के अस्पताल पर धावा बोल दिया और हास्पिटल को बुरी तरह से बर्बाद कर दिया. शाहीन और रेनू को सारी रात पुलिस स्टेशन में बैठना पड़ा. सुबह कोर्ट में पेशी हुई और दोनो को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. बाद में दबाव पड़ने पर 15,000 रूपये की जमानत पर दोनों को छो़ड़ दिया गया.
लड़की और उनके घर वाले बुरी तरह से घबराए हुए हैं. शाहीन तो इस कदर डरी हुई है कि उसने कभी किसी सोशल नेटवर्किग प्लेटफार्म पर नहीं जाने की कसम खा ली है. शाहीन के अंकल के हास्पिटल को 10 लाख से भी ज्यादा का नुकसान हुआ है.
अब आप नीचे शाहीन के लिखे स्टेटस को पढ़िये और बताइये कि उसकी गलती क्या है. आखिर हमारी फ्रीडम आफ स्पीच आज कितनी सुरक्षित है?
"With all respect, every day, thousands of people die, but still the world moves on. Just due to one politician died a natural death, everyone just goes bonkers. They should know, we are resilient by force, not by choice. When was the last time, did anyone showed some respect or even a two-minute silence for Shaheed Bhagat Singh, Azad, Sukhdev or any of the people because of whom we are free-living Indians? Respect is earned, given, and definitely not forced. Today, Mumbai shuts down due to fear, not due to respect."
न्यूज़ चैनलों पर बात करत हुए मुंबई की इन दोनों लड़कियों को देखिये. दोनों ने अपनी पहचान छिपाने के लिए अपने चेहरे पर नकाब लगा रखे हैं और आवाज़ से लग रहा है कि वे बेहद डरी और घबराई हुई थीं. सच मानिए तो ऐसा लगता है कि ये नकाब इन लड़कियों ने नहीं बल्कि हमारी डेमोक्रेसी ने अपने चेहरे पर लगा रखा है, डरकर, घबराकर, शर्मिन्दा होकर. इसके पहले भी न जाने कितने ब्लोगर्स और इंटरनेट यूज़र्स सरकार की तानाशाही का शिकार होकार जेल का सफ़र तय कर चुके हैं, जिनमे से एक सेव योर वाइस के संस्थापक कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी भी हैं. अगर आप भी इंटरनेट यूज़र हैं और विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर अपने विचार अपने दोस्तों के साथ साझा करते हैं तो ये मानकर चलिए की किसी भी दिन आई टी एक्ट के सेक्शन 66-A की वज़ह से आपके लिए भी पुलिस का फरमान आ सकता है और आपको हवालात की हवा खानी पड़ सकती हैं. इसलिए साथियों, हमारा तो मानना है की इस ऑन पेपर डेमोक्रेसी में अपनी सुरक्षा अपने हाथ है. वैसे भी अंधेर नगरी के चौपट राजा से तो कोई उम्मीद रखना बेईमानी ही है. इसलिए साथियों बेहतर होगा की ऐसी अनहोनी को टालने के लिए हम इंटरनेट यूज़र खुद ही अग्रिम जमानत ले लें.
तो अगर आपका भी सोशल मीडिया वेबसाइट्स पर अकाउंट है और आप कोई स्टेटस अपडेट करते हैं या किसी फ्रैंड की पोस्ट को लाईक कर देते हैं. तो आज ही स्थानीय कोर्ट में अग्रिम जामानत (anticipatory bail) के लिए अप्लाई कर दीजिये. इस प्रक्रिया में हम भी आपका सहयोग कर सकते हैं. अगर आप हमें अपना नाम और पता भेज दें तो हम स्वयं ही आपके लिए अग्रिम जमानत का प्रबंध कर देंगे. फिर आप निश्चिन्त होकर इंटरनेट पर अपनी फ्रीडम ऑफ़ स्पीच् का इस्तेमाल कर सकेंगे. इसलिए ज़ल्दी से ज़ल्दी अपना नाम और पता हमारी ईमेल आईडी saveyourvoice@gmail.com पर भेज दीजिये. और अपने साथियों को भी ज़ल्दी से ज़ल्दी अग्रिम जामानत लेने के लिए प्रेरित कीजिये क्योंकि बिना अग्रिम जामानत लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करना अब आपके और आपके परिवार के लिए खतरनाक हो सकता है. साथियों, आइये स्थानीय अदालतों को अग्रिम जमानत की अर्जियों से भर दें और सरकार को बता दें की हमें खुद अपनी हिफाज़त करना आता है और पुलिस की तानाशाही हरकतों से डरकर हम अपनी अभिव्यक्ति की आज़ादी से कोई समझौता नहीं करेंगे. बुल्ले शाह कहते हैं, "जो न जाने हक़ की ताकत, रब न देवे उसको हिम्मत." तो आइये अपने हक़ की ताकत को पहचानें और अग्रिम जमानत मांगकर सरकार को शर्मिन्दा करें.